लालची नेता बंटता समाज
क्या समाज की परिभाषा है , कैसे समाज का निर्माण हुआ है ।
हर घर में कोहराम मचा है , क्यों व्यक्ति व्यक्ति से चिढ़ा हुआ है ॥
हिन्दू और मुस्लिम के नाम पर , जाती और धरम के नाम पर ।
पूरब ,पश्चिम ,उत्तर ,दक्षिण ,यह मेरा देश टुकड़ों में बँटा हुआ है ॥
क्यों इस देश की यह हालत है , किससे समाज यह डरा हुआ है ।
इसका कारण राजनीतिज्ञ है , जिनके मन में लालच भरा हुआ है ॥
अपने फायदे के कारण ये नेता, देश और समाज को बांट रहे हैं।
अपने लालच के कारण ही ये सब, देश को अल्प और बहु संख्यक में बांट रहे हैं।।
लालच सबको छोड़ना होगा ,स्वस्थ समाज बनाना होगा ।
सबको मिलकर सोचना होगा ,देश कहाँ पर खड़ा हुआ है ॥
हम है जिम्मेदार नागरिक देश के , हमसे ही तो यह समाज बना है ।
पहल हमें मिलकर ही करनी है , हर समाज देश का इंतजार में खड़ा हुआ है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिज़नोरी