लाचार औरत
लाचार औरत
फटे हुए कपड़ों
हालत उसकी खस्ता
शायद वह औरत
जो थी भाग्य की मारी
शायद वह औरत बेचारी
बहुत ही गरीब थी
पति तो उसका शायद
बहुत पहले ही
गुजर चुका था
उसके सहारे के लिए
पाँच बच्चे ओर
विरासत में उसके लिए
एक टूटी झोंपडी
कुछ टूटे-फू टे बर्तन
छोड गया था।
शायद कभी उन दोनों ने भी
अमीर बनने के सपने
आँखों में सजाये होंगे।
मगर भाग्य ही
उनके हाथों से छूट गया।
बच्चों को बचपन में ही
राम हवाले कर गया।
एक गरीब खस्ता हालत
भरे -पूरे परिवार को
ओर गरीब बना गया।
ऊपर से बडी महंगाई
काम के बदले
कम मेहनताई
यही तो शायद उस
औरत को ओर ले डूबा।
तैरने की सोच रही थी
वह विधवा बेचारी
वह तालाब ही गहरा निकला।
उसमें धंसती ओर धंसती
धंसती ही चली गई
उसने ऐसा काम न छोड़ा
अच्छा -बुरा सब किया।
मगर हुआ क्या ?
वही तो हुआ जो आज तक
एक गरीब के साथ होता है आया,
खुद तो धरती से चली गई,
बच्चों को चोर-भिखारी बना दिया।
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