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24 Oct 2023 · 1 min read

लाखों रावण पहुंच गए हैं,

लाखों रावण पहुंच गए हैं,
करने को एक पुतला दहन।
सारी सीमाएं लांघ दिये कुछ ने,
नैतिक मूल्यों का हो रहा पतन।
कथनी करनी में कर के अंतर,
स्वार्थ सिद्धि को कर रहा जतन
दाग लगा कर एक आंचल में,
दूजे में जड़ रहा रतन।
व्यथा नारी की, नारी न समझे
हाल पे तेरे,रो रहा वतन

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