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2 Aug 2020 · 2 min read

“लाइलाज दर्द”

दर्द ऐसे न दो कि दर्द लाइलाज हो जाए,
दिलों को साथ चलना दुस्वार हो जाए I

फूलों को तार-२ करके “ फुलवारी ” का हाल पूछते हो,
जख्मों से नहलाकर करके तुम हमसे सवाल करते हो,
कफन का कारोबार करके इंसानियत की बात करते हो,
गुलशन को आग के हवाले करके जहाँ की बात करते हो I

दर्द ऐसे न दो कि दर्द लाइलाज हो जाए,
टूटे हुए दिलों में फिर बहार न आ पाए I

फूल रो-२ कर अपनी हकीक़त बयां करते गए,
जालिम फूलों को राख की तरह मसलते गए,
वो मजबूर की मजबूरी का फायदा उठाते गए ,
खड़े-२ हम सारा “नज़ारा” बस देखते रह गए I

दर्द ऐसे न दो कि दर्द लाइलाज हो जाए,
दिल की हसरत दिलों में ही रह जाए I

जख्म ऐसे न दो कि कश्ती तूफ़ान में डूब जाए,
जब सब हो आग के हवाले कुछ भी कर न पाए,
“ फूलों के दायरे” में सब धरा का धरा रह जाए,
चाहकर भी फिर लौटना चाहे पर लौट न पाए I

दर्द ऐसे न दो कि दर्द लाइलाज हो जाए,
जुबानी तरकश में यह बर्बाद न हो जाए I

संभल जा, “ राज ” फूलों को दर्द देने वाले ए इंसान,
कहर से उसके बच नहीं पायेगा जितना हो बलवान,
ए फूल लुट रही तेरी बगिया क्या तुझे नहीं है संज्ञान ?
“ इंसानियत ” बचाने वाले का युगों-२ तक बढेगा मान I

दर्द ऐसे न दो कि दर्द लाइलाज हो जाए,
दिलों को साथ चलना दुस्वार हो जाए I
*******
देशराज “ राज ”

Language: Hindi
3 Likes · 8 Comments · 719 Views
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