लहू को उबलने तो दो
मौत का गर बुलावा भी आए तो क्या,
फिर न कहना कभी भी संभलने तो दो।
जंग-ए-मैदान मे बाँध सर पे कफन,
पाँव सीमा तरफ अब निकलने तो दो।
तेरी चढ़ती जवानी है किस काम की,
अब लहू को जरा तुम उबलने तो दो।
धन्य माँ भारती धन्य सेना तेरी,
आँख में आँसुओं को पलने तो दो।
अपना कोई नही देश को छोड़कर,
मै चलूँ गर तेरे साथ चलने तो दो।।