लहू का रंग, सभी का लाल
लहू का रंग, सभी का लाल
माखन पर, नहीं लिखा
धर्म जाति का, कोई नाम।
भरोसा दिल में ,रखो तो
मिलेंगे, हम सभी को श्याम।।
जन्म लेते ही, कान्हा ने
घमंडी का, घमंड तोड़ा ।
प्यार बांटा है, इस जग में
दिलों का, रिश्ता है जोड़ा ।।
परम शक्ति का है,इक नाम
कहो दाता उसे, या राम ।
रहे संग में, हमारे वो
सुबह हो या, हो ढलती शाम ।।
धरा ये ,राम भूमि तो
यहीं गौतम ने, जन्म लिया।
गुरु नानक, यहां जन्मे
प्यार का ,संदेश हमें दिया।।
जातीय हिंसा नें, इस देश को
सदा पीछे, धकेला है ।
रखता मन में, जो है बैर
करोड़ों में, अकेला है ।।
जरा तुम सोच कर ,देखो
सभी तो एक, जैसे हैं ।
दूरियां मन से ,बनती है
बांटते हमको ,पैसे हैं ।।
धर्म और जात पर, लड़ते
बिना किसी बात के, लड़ते ।
लहू का रंग ,सभी का लाल
फिर क्यों हर बात,पर अडते
दिलों में दूरियां, ना रख
प्यार का घूंट, जरा सा चख ।
अपनों की करो, इज्जत
एक दूजे पर, भरोसा रख ।।