लब ए बाम
लब ए बाम पे आज फिर माहताब न आया
सितारों से सजा फलक आज मुझे फिर न भाया
बैठी रही में दरिया किनारे खुद को भींच
हाय मलाह ने फिर कोई बीरह का गीत न गाया
~ सिद्धार्थ
लब ए बाम पे आज फिर माहताब न आया
सितारों से सजा फलक आज मुझे फिर न भाया
बैठी रही में दरिया किनारे खुद को भींच
हाय मलाह ने फिर कोई बीरह का गीत न गाया
~ सिद्धार्थ