लबों से आज……..
लबों से आज तुझको मैं दिल की बात कहती हुँ,
कि ना होकर भी हर पल मैं तेरे ही साथ रहती हुँ,
बिना तेरी हँसी की ना कभी सुबह हो मेरी,
नज़र खुलते ही तू दिख जाए यही हर रात कहती हुँ
तेरे लफ़्ज़ों की सरगम से मेरी धड़कन संभलती है,
सुकूँ तुझको जो दे जाए मैं वो अल्फ़ाज़ कहती हुँ
मेरा साहिल भी तू ही है मेरी मंजिल भी तुझसे ही,
किनारा मान के तुझको मैं तेरी साथ बहती हुँ,
नहीं मंजूर है मुझको तेरा यूँ दूर हो जाना,
की मैं मर जाऊंगी अंतिम यही मैं राज़ कहती हुँ ।
✍️वैष्णवी गुप्ता (Vaishu)
कौशाम्बी