लबों को सिना जरूरी है जाम दर्द का पीना जरूरी है
लबों को सिना जरूरी है
जाम दर्द का पीना जरूरी है
क्यों इतना मुस्कुरा रहे हो
यहाँ दर्द में भी हँसी का लिबाज़ पहनना जरूरी है
उनकी यादें तो बदलते मौसम सी हो गईं
बिन बादल बरसात होना भी जरूरी है
चल दिए सफ़ीना लेकर लहरों की मस्ती में
कभी सफिने का किनारों में रहना भी जरूरी है
चले जाते है मुसाफ़िर मंज़िल की तलाश में
पंक्षी का आशियाने में आना भी जरूरी है
चार दिन गुज़र जाते है यूँ ही रोते रोते
ज़िन्दगी में कभी मुस्कुराना भी जरूरी है
छुप जाता है आफ़ताब बादलों में
बादलों को चीर आफ़ताब का बाहर आना भी जरूरी है
गिर जाते है अक्सर मंज़िल की राह में
उठ कर मंज़िल की और बढ़ना भी जरूरी है
ज़िन्दगी नही आसाँ इस ज़माने में
ज़माने के अनुरूप ढल जाना भी जरूरी है
कौन कहता है यहाँ ज़िंदा है इंसा
उनकी मरी हुई रूह को जगाना भी जरूरी है
भूपेंद्र रावत
21।09।2017