लबों की हंसी चुराना आसान ना था
लबों की हंसी चुराना आसान ना था
उन्हें अपना बनाना आसान ना था
सपने तो अपने थे वो भी खरीद लिए
उनका सपनो में आ जाना भी आसान ना था
दिल तो था बच्चा ही कल तक
दिल का, दिमाग का खेल समझ पाना आसान ना था
गुलाम थे उसके, कई चाहने वाले
उसके कल्ब को कफस में रख पाना आसान ना था
खो गए जुल्फों के साए में कई रहबर
जुल्फों के जंजाल से बाहर आना आसान ना था
बेमौसम है मोती भी आँख के अब
आँखों के मोतीयों को रोक पाना आसान ना था
खेलते रहे वो चाल शतरंज की
उनकी चाल को भेद पाना आसान ना था
आजमाने आये थे साहास अपना हम भी
उनके आगे टिक पाना भी आसान ना था
भूपेंद्र रावत
2/11/2017