Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Nov 2017 · 1 min read

लबों की हंसी चुराना आसान ना था

लबों की हंसी चुराना आसान ना था
उन्हें अपना बनाना आसान ना था

सपने तो अपने थे वो भी खरीद लिए
उनका सपनो में आ जाना भी आसान ना था

दिल तो था बच्चा ही कल तक
दिल का, दिमाग का खेल समझ पाना आसान ना था

गुलाम थे उसके, कई चाहने वाले
उसके कल्ब को कफस में रख पाना आसान ना था

खो गए जुल्फों के साए में कई रहबर
जुल्फों के जंजाल से बाहर आना आसान ना था

बेमौसम है मोती भी आँख के अब
आँखों के मोतीयों को रोक पाना आसान ना था

खेलते रहे वो चाल शतरंज की
उनकी चाल को भेद पाना आसान ना था

आजमाने आये थे साहास अपना हम भी
उनके आगे टिक पाना भी आसान ना था

भूपेंद्र रावत
2/11/2017

1 Like · 539 Views

You may also like these posts

खटाखट नोट छापो तुम
खटाखट नोट छापो तुम
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
*नमस्तुभ्यं! नमस्तुभ्यं! रिपुदमन नमस्तुभ्यं!*
*नमस्तुभ्यं! नमस्तुभ्यं! रिपुदमन नमस्तुभ्यं!*
Poonam Matia
राम मंदिर निर्माण सपना साकार
राम मंदिर निर्माण सपना साकार
Sudhir srivastava
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
Stop use of Polythene-plastic
Stop use of Polythene-plastic
Tushar Jagawat
नमन तुम्हें नर-श्रेष्ठ...
नमन तुम्हें नर-श्रेष्ठ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
आंखों में गिर गया
आंखों में गिर गया
RAMESH SHARMA
पांव में मेंहदी लगी है
पांव में मेंहदी लगी है
Surinder blackpen
गांव मेरा क्या पहले जैसा है
गांव मेरा क्या पहले जैसा है
आर एस आघात
???????
???????
शेखर सिंह
।। निरर्थक शिकायतें ।।
।। निरर्थक शिकायतें ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मुक्तक
मुक्तक
Sonam Puneet Dubey
"विडम्बना"
Dr. Kishan tandon kranti
बदनाम शराब
बदनाम शराब
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हठ;कितना अंतर।
हठ;कितना अंतर।
Priya princess panwar
ଜାମ୍ୱାଇ
ଜାମ୍ୱାଇ
Otteri Selvakumar
जन्म से मरन तक का सफर
जन्म से मरन तक का सफर
Vandna Thakur
3419⚘ *पूर्णिका* ⚘
3419⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
आल्हा छंद
आल्हा छंद
seema sharma
मुझे भी कोई प्यार सिखा दो,
मुझे भी कोई प्यार सिखा दो,
Jyoti Roshni
धर्म अधर्म की बाते करते, पूरी मनवता को सतायेगा
धर्म अधर्म की बाते करते, पूरी मनवता को सतायेगा
Anil chobisa
लघु रचना  : दर्द
लघु रचना : दर्द
sushil sarna
विद्यार्थी
विद्यार्थी
पूर्वार्थ
देखा है
देखा है
Dr fauzia Naseem shad
अपनी हद में ही रहो तो बेहतर है मन मेरे
अपनी हद में ही रहो तो बेहतर है मन मेरे
VINOD CHAUHAN
संवेदना मनुष्यता की जान है
संवेदना मनुष्यता की जान है
Krishna Manshi
कोई अज्ञात सा भय जब सताता है,
कोई अज्ञात सा भय जब सताता है,
Ajit Kumar "Karn"
* बडा भला आदमी था *
* बडा भला आदमी था *
भूरचन्द जयपाल
◆ आप भी सोचिए।
◆ आप भी सोचिए।
*प्रणय*
*सपने कुछ देखो बड़े, मारो उच्च छलॉंग (कुंडलिया)*
*सपने कुछ देखो बड़े, मारो उच्च छलॉंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...