लफ़्ज़ों में हमनें
बयां खुद को
हम न कर पाये
अब तक
समेटा बहुत खुद को
लफ़्ज़ों में हमनें
फट भी गये
वरक़ बेबसी में
क्यों तलाशा
ख़ुदी को
ख़ुदी में ही
हमनें ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
बयां खुद को
हम न कर पाये
अब तक
समेटा बहुत खुद को
लफ़्ज़ों में हमनें
फट भी गये
वरक़ बेबसी में
क्यों तलाशा
ख़ुदी को
ख़ुदी में ही
हमनें ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद