लतपथ
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सत्संगत का मूल्य अमूल्य है,
देखें अब कौन चुकाता है ?
देखें कौन लतपथ को तज,
सत्पथ को अपनाता है ।
सकल बुरी संगत को तजकर,
मर्यादा जिसको प्यारी हो।
जो लतपथ के विषमय प्याले,
पीने में बना शिकारी हो।
कष्ट कंटकों का लतपथ तज,
जो बन चुका आज्ञाकारी हो।
अपने घर उत्तम जीवन का,
जो स्वयं बना अधिकारी हो।
आज उसी के लिए राष्ट्र,
भुज अपने फैलाता है।
देखें कौन लतपथ को तज,
सत्पथ को अपनाता है।
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अशोक शर्मा, कुशीनगर,उ,.प्र.
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