*लड़ाई*
क्या मिलेगा तुम्हें आज की लड़ाई में,
क्या मिलेगा तुम्हें आज की लड़ाई में,
खून खराब और जग की रुसवाई में,
क्या मिलेगा तुम्हें आज की लड़ाई में।
क्या करोगे धन माल दौलत का,
क्या करोगे धन माल दौलत का,
यह ना जाएगा तुम्हारे साथ चारपाई में,
क्या मिलेगा तुम्हें आज की लड़ाई में।
रह जाओगे फिर भी अकेले तुम,
सोचोगे सदा तन्हाई में,
कि क्या रखा है खून खराबा और लड़ाई में।
चंद सिक्कों के लिए अपना वजूद मिटा के,
नफरत के दिए दिलों में जलाके,
स्त्रियों के माथे का सिंदूर हटाके,
तब तुम सोचोगे तन्हाई में,
क्या मिलेगा तुम्हें आज की लड़ाई में।
प्रेम के दो शब्द बोल देते जिंदगानी में,
प्रेम के दो शब्द बोल देते जिंदगानी में,
तुम्हारा भी नाम होता आज की कहानी में,
तब तुम समझते की,
क्या रखा है आज की लड़ाई में,
क्या मिलेगा तुम्हें आज की लड़ाई में।।