लड़की
किस पर नाज ( गर्व ) करू I
किस पर विश्वास करू ।
हृदय मंथन की मारी हूँ।
अपने में ही बेचारी हूँ ।
बंदिशों के गृह में,
क्या स्वीकार करूँ ।
क्या अस्वीकार करूँ।
अज्ञ , अकेली हूँ ।
खामोशी किरदार हैं।
ये आरजू ये अगाज है।
नजाकत का भ्रम तोड़ लें।
अपनी दीनता छोड दें ।
.ःःःः . . . . . . ं नजरिया आज भी अगल है ।
लड़की के प्रति , कमजोर है लड़की है ।
मैं पैदा हुई , कब Iलेकिन जानते मुझे सब । टिकना, सहना आदि मेरे लिए शब्द है ।
नहीं कोई आश्चर्य
क्योंकि मेरी माँ ने बताया ही कब ।
माँ का इसमें दोष क्या
मैं पैदा ही हुई, तब ।
जब बड़ी तंगी , तंग थे, सब ।
होश हुआ तो जाना ।
अपनों से बेगाना _ डॉ. सीमा कुमारी , बिहार (भागलपुर ) ।