#लघुकविता-
#लघुकविता-
■ हंसते-मुस्कुराते रहो।
[प्रणय प्रभात]
दुःख कम हो मुस्कान लुटाओ,
ग़म ज़्यादा कहकहा लगाओ।
आंसू ना बाहर आ पाएं,
आंखों में वो बांध बनाओ।।
कर के देखो सुकूं मिलेगा,
वरना हर इक शख़्स हंसेगा।
पीर पराई क्या करना है?
जब ख़ुद ही जीना-मरना है।।
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-सम्पादक-
●न्यूज़&व्यूज़●
(मध्य-प्रदेश)