#लघुकविता
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■ मौन अग्रिम समाधान…
【प्रणय प्रभात】
“मौन संवाद का अपमान नहीं,
एक अग्रिम समाधान है
उन अंतहीन विवादों का,
जो मुखर होते ही उग आते
खरपतवार की तरह,
जीवन रूपी बगीचे में।
चाहे-अनचाहे, जहां-तहां,
यहां-वहां, न जाने कहां-कहां।।”
【प्रणय प्रभात】