लगभग मनुष्यों की पशुता
अधिकतर कवि लगभग कवि थे
अधिकतर कविता लगभग कविता
अधिकतर मनुष्य लगभग मनुष्य भी नहीं हो सके
पशुओं के साथ ऐसा नहीं रहा
वे अपनी पशुता में भरपूर थे
इसीलिए उनमें बची रही ज़रूरी मनुष्यता
किसी शेर ने किसी हिरण का शिकार करने के लिए दोस्ती नहीं की
एक रोटी के लिए सौ बार पूँछ हिलाते रहे कुत्ते
पशुओं ने संभोग के लिए प्रेम का बहाना नहीं बनाया
कभी किसी को नीचा नहीं दिखाया
किसी का अपमान नहीं किया
पशुओं के यहाँ विश्वास सुरक्षित रहा
और मनुष्यों के यहाँ क्षतिग्रस्त
पशु लगभग मनुष्यों से ज़्यादा मनुष्य रहे
मनुष्य न पशु हो सका न मनुष्य
लगभग लगभग वह सब कुछ था
सिवाय मनुष्य होने के।
#anuraganant