लक्ष्य
लक्ष्य
एक टिमटिमाती लौ
यदि आकर्षित करती है
तुम्हें जीवन भर
तो समझ लो
जीवन का उद्देश्य
स्पष्ट है
यदि है घनघोर अंधकार
तो सोचो
आँखें धीरे धीरे उसकी अभयसत हो जाएँगी
और ढूँढ सकोगे
फिर तुम
अपना लक्ष्य
और यदि है तेज़ प्रकाश
तो डरो मत
सूर्य के मध्य में देखो
दृढ़ होकर
सब कुछ बुझने के बाद भी धीमी आँच पाओगे
प्रकाश की कहीं भीतर ।
शशि महाजन- लेखिका