“लक्ष्मण-रेखा”
“लक्ष्मण-रेखा”
दर्द के समन्दर में सदियों से नारी
अपने अरमान डुबोती है,
आज की सीता
चीख-चीख कर पूछ रही
क्या पुरुषों की
लक्ष्मण-रेखा नहीं होती है?
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“लक्ष्मण-रेखा”
दर्द के समन्दर में सदियों से नारी
अपने अरमान डुबोती है,
आज की सीता
चीख-चीख कर पूछ रही
क्या पुरुषों की
लक्ष्मण-रेखा नहीं होती है?
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति