“लकीरों के रंग”
“लकीरों के रंग”
हाथों की लकीरों में
जीने के इशारे नहीं होते,
किस्मत भरोसे जीने
वालों के सहारे नहीं होते।
यूँ लहरों से डर कर अब
जाओगे भी कहाँ,
बीच समन्दर में कोई
किनारे नहीं होते।
“लकीरों के रंग”
हाथों की लकीरों में
जीने के इशारे नहीं होते,
किस्मत भरोसे जीने
वालों के सहारे नहीं होते।
यूँ लहरों से डर कर अब
जाओगे भी कहाँ,
बीच समन्दर में कोई
किनारे नहीं होते।