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2 Jun 2021 · 1 min read

रोशन जग सारा

जीवन में उन्हें क्या राह दें,
जब अंधेरे में ही जीना है।

सुबह की खिड़की खोल कर,
देर रोशन जग में सोना है।

शीतल पवन की मंद मुस्कान,
जब हृदय को नहीं छूना है।

खग-विहग चह-चहाँकर,
उठने की प्रेरणा देते हैं ।

पुष्प सुगंध को फैलाकर ,
बाहर आने को आतुर करते हैं।

सूरज किरणों से सारे जग को,
रंगों से भर कर मोहित करता।

मेघ उमड़-घुमड़ वर्षा कर,
हरा-भरा कर धरा सजाते।

कल-कल करती नदियांँ सारी,
सागर को राग सुनाती हैं।

जीव-जंतु पलके खोलकर,
निकल चले टहलने भोर।

दुख को त्याग नभ-संसार,
करते वंदन जगत कल्याण।

#..बुद्ध प्रकाश ??

Language: Hindi
3 Likes · 264 Views
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