रोमन लिपि का उपयोग क्यों ?
हमारी प्यारी राष्ट्र-भाषा हिंदी की पहचान और उसकी सुंदरता उसके वास्तविक रूप से ही है , देवनागरी लिपि हमारी हिंदी की आत्मा है. उसका जीवन है . अंग्रीज़ी के मशहूर लेखक चेतन भगत जी जो देवनागरी को लुप्त कर ,मार कर ,रोमन लिपि को बढ़ावा देने की बात करते हैं. एक दम गलत है . यदि आत्मा ही ख़त्म कर दी तो शारीर का क्या वजूद रह जाएगा . उनसे पूछे कोई की ,वोह english को हिंदी की तरह लिख कर दिखाएँ तो माने. देवनागरी लिपि को लुप्त करने वाले ! यदि रोमन लिपि को ही लुप्त कर दिया जाये तो कैसा हो? नयी तकनिकी का राग अलापने वाले ,यदि नियत साफ़ हो , और दिल में देश-भक्ति की भावना हो तो क्यों अंग्रेजों का थूका हुआ चाटें . इसके स्थान पर ,अपनी बुद्धि -कौशल का इस्तेमाल करके कंप्यूटर और मोबाइल में देवनागरी से लिखने का तरिका इजाद नहीं करना चाहिए, क्या !
क्या चीन और जापान अपनी ही भाषा-और संस्कृति के साथ लेकर विकास नहीं कर रहे.? हमारा देश भी अपनी ही भाषा हिंदी के साथ विकास के पथ पर चल सकता है. और वह भी उसके असली रूप के साथ अर्थात देवनागरी के साथ. मुझे बहुत दुःख होता है यह देखकर ही ”हिंदी की कमाई खाने वाला फिल्म-जगत भी हिंदी के असली रूप देवनागरी का त्याग कर रोमन लिपि का ही प्रयोग करता है. क्यों? सारे संवाद , सारे गीत , पट-कथा आदि रोमन में ही लिखी जाती है क्योंकि हमारे बुद्धिमान व् चतुर दिखने वाले अभिनेता -अभिनेत्रिओं को हिंदी नहीं आती . रोमन से संवाद लिखने से ही वोह हिंदी बोल पाती है. लानत है! तभी तो आज के फ़िल्मी गीतों ,संवादों व् कहानियों में वोह रस ,वोह जीवंतता नहीं रही जो पहले कभी हुआ करती थी.
यह अंग्रेजियत के चमचे इतना जान लें की हिंदी से खुबसूरत कोई भाषा नहीं है सारी दुनिया में. और जिसने महान व्यक्ति ने हज़ारों साल पहले देवनागरी का आविष्कार किया होगा तो कुछ सोच कर ही क्या होगा. जितनी कलात्मकता , भावनाएं ,संवेदनाएं इस भाषा में निहित है ,और किसी में नहीं है. देवनागरी लिपि में एक अद्भुत कलात्मकता , शब्दों का सामजस्य है. इसीलिए हिंदी मात्र बोलने में ही नहीं लिखने में और सुनने में भी अति सुंदर व् कर्ण-प्रिये लगती है. . इसकी ५२ अक्षर ,स्वर व् मात्राओं का मनुष्य के मुख की सरंचना के साथ अद्भुत तालमेल है. . एक बार रोमन की उंगली छोड़कर देवनागरी का दामन पकडके तो देखो , कसम से जीवन सफल हो जाएगा. वास्तव में अपने मनुष्य होने का आभास हो जाएगा. और मनुष्यता का भी .