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21 Apr 2023 · 1 min read

*रोने का प्रतिदिन करो, जीवन में अभ्यास【कुंडलिया】*

रोने का प्रतिदिन करो, जीवन में अभ्यास【कुंडलिया】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रोने का प्रतिदिन करो ,जीवन में अभ्यास
सुख जीवन में चार दिन ,ज्यादा करो न आस
ज्यादा करो न आस ,रोगमय जानो काया
वृद्धावस्था-कष्ट ,भयंकर सबने पाया
कहते रवि कविराय ,नियम शाश्वत खोने का
तन जाते सब छोड़ ,सजा मरघट रोने का
———————————————–-
रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

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