रोटी की कीमत
मिलता है जो आसानी से
उसकी कोई कीमत नहीं होती
है सच्चाई यही कि यहां तो
सच्चे रिश्तों की कीमत नहीं होती।।
रोटी का मोल वो क्या जाने
जिसे मेहनत नहीं करनी पड़ती
दो वक्त की रोटी पाने के लिए
उसे तो मिल जाता है सबकुछ
जो वो चाहता है खाने के लिए।।
सारे दिन रिक्शा खींचता है जो
फिर भी दो वक्त की रोटी पूरी नहीं पड़ती
रोटी की कीमत जानता है वो
जिसको रातें भूखे पेट गुज़ारनी है पड़ती।।
रोटी की कीमत जानते है वो बच्चे
जो सड़कों पर घूमकर भीख मांगते है
सुबह से शाम एक गाड़ी को छोड़ कुछ
मिलने की आस में दूसरी गाड़ी में झांकते है।।
वो किसान जो दिनभर रहता है
अपने खेतों में कड़ी धूप में
मेहनत करता है रात दिन
उसकी अच्छी कीमत पाने को।।
ये सब करता है वो भी तो
सारे देश को अनाज देने को और
मिले उसके परिवार को भी
भोजन भर पेट खाने को।।
रोटी की कीमत उनसे पूछिए
गावों शहरों में रहते हैं जो लाखों गरीब
रहते है कई कई दिन भूखे और
दो रोटी की आस में हमेशा वो गरीब।।
रोटी की कीमत वो जानता है
जिसने देखा हो भूख से तड़पते अपने को
आओ कोशिश करें और साकार करें
हम भुखमरी रहित भारत के इस सपने को।।
अन्न का सम्मान करें, हो ज़्यादा तो दान करें
हो संपन्न तो रोज़ एक भूखे को भोजन कराएं
है देश में अन्न भंडार इतना कोई भूखा न रहे
ज़रूरत है, सही ढंग से सबको खाद्यान पहुंचाएं।।