””” रोग यह इश्क का कैसा”””’
आंखों से आंखों के इशारे, एक दूजे के हो गए प्यारे।
इश्क का ऐसा हुआ असर कि राते गुजरे गिन गिन तारे।
रोग यह इश्क का कैसा ,तेरा भी क्या हाल है ऐसा।।
सुबह-सुबह तेरी चौखट पर, दिल दस्तक दे जाता है।
जब तक तुझसे नैन मिले ना, चैन कहां आ पाता है।।
कहने लगी दुनिया मुझको तो, तेरा हाल है मजनू जैसा।
रोग यह इश्क का कैसा, तेरा भी क्या हाल है ऐसा।।
देख के तेरी भोली सूरत, दिल मेरा फिर कहने लगे।
जल्दी मिला दे हमें ओ रब्बा, साथ साथ हम रहने लगे ।
अनुनय प्यार में जीना प्यार में मरना प्यार न मांगे पैसा ।।
रोग यह इश्क का कैसा, तेरा भी क्या हाल है ऐसा।।
———राजेश व्यास अनुनय