रोक दो ये पल
रोक दो ये पल ,दिल जाए संभल।
बाहों में थाम मुझे ,दूर कहीं चल।
बेबस से है आज दिल मेरे के अरमां
रोके बैठे हैं हम सांसों का कारवां।
चांद के पार चलो आज मेरे हमसफ़र
दुनिया वालों का न हो जाए खबर।
साथ हो तेरा तो ,दूर नहीं फिर मंजिलें
यूं साथ चलने को थे बहुत काफिले।
चांदनी रात में , तेरा साथ हो सुहाना।
ऐसे ही मुस्कराते हुए ख्वाब में आना।
सुरिंदर कौर