रे करोना ! तू तो छा गया ( रोगों के उलाहने करोना हेतु){ हास्य व्यंग कविता}
कभी हमारा भी डंका बजता था इस रोग जगत में,
अरे करोना ! तूने आते ही हल्ला मचाया जगत में ।
तू जबसे आया मारे डर के लोगों की नींदे उड़ गयी ,
हमसे न फैला सके ऐसी सनसनी किसी जुगत में ।
लोगों की रातों की नींद दिन का चैन काफुर हुआ,
हम क्यों न फैला सके ऐसा खौफ मनुष्य जगत में ।
तू क्या आया के जन -जीवन में सजगता आ गयी
हमें भला कोई क्यों नहीं लेता इतनी गंभीरता में।
अपने स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर सचेत हो गए ,
क्योंकि तेरे वायरस ने खौफ फैलाया सारे जगत में ।
लोगों की जरा सी नादानी ले सकती है इनकी जान,
इसीलिए तेरे नियमों का पालन करते दिन रात में।
वजह का कोई पता नहीं,लक्षणों का भी ठिकाना नहीं,
मचा हुआ है हड़कंप स्वास्थ्य व चिकित्सा जगत में।
हमारा क्या है हमें अब लोग रोग समझते ही नही ,
समझ में आ जाते है हम बस एक मुलाकात में।
हम तेरी तारीफ करें मगर जल रहा है हमारा दिल,
तूने हमारा रुतबा छीना और लात मारी हमारे पेट में।
चल ! जवानी का जोश है ,जितना उड़ना है उडले तू ,
कभी न कभी तो शामिल हो तू भी हमारी जमात में।