एक दिन
रेशम सी नर्म जुल्फें अपनी
मुझ पे लहराओ एक दिन
क्या दूर से ही देखते हो
यूं ही बरस जाओ एक दिन ।
हवाओं की तरह गुजरो
दिल की तंग गलियों से
फूलों की तरह बिखरो
मुझे महकाओ एक दिन ।
अपने हिस्से की सारी खुशियाँ
उन चंद लम्हों को दे दूं
यूं हाथ रख के मेरे सीने पे
मुझको समझाओ एक दिन ।
© अभिषेक पाण्डेय अभि