रेशमी जुल्फों का घना साया
रेशमी जुल्फों का घना साया
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रेशमी जुल्फों का घना साया,
किस मोड़ पर है हमें ले आया।
काले गेसुओं की गहरी छाँव में,
मखमली मुलायम गोरे पांव में,
जहाँ जहान अपना है बसाया।
रेशमी जुल्फों का घना साया।
नैनों मे ख्वाब सुनहरी सजाये
मन ही मन अरमान है बसाये,
ए हमनशीं तेरा बनूं हमसाया।
रेशमी जुल्फों का घना साया।
जादुई भरी अदा मस्तानी है,
गजराज सी चाल मतवाली हैं,
तनबदन देख कर मन हर्षाया।
रेशमी जुल्फों का घना साया।
मन सीरत पागल हैं मस्ताना,
हजारों लाकों में तेरा दीवाना,
मस्ती में अंग अंग है मस्ताया।
रेशमी जुल्फों का घना साया।
रेशमी जुल्फों का घना साया,
किस मोड़ पर है हमें ले आया।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)