रूह बनकर उतरती है, रख लेता हूँ,
रूह बनकर उतरती है, रख लेता हूँ,
आसमान से बरसती है, रख लेता हूँ,
मुझ खाकसार को, क्या कायदा, क्या अदब,
ये तो राम की रहमत है, लिख लेता हूँ।
नील पदम् 🙏
रूह बनकर उतरती है, रख लेता हूँ,
आसमान से बरसती है, रख लेता हूँ,
मुझ खाकसार को, क्या कायदा, क्या अदब,
ये तो राम की रहमत है, लिख लेता हूँ।
नील पदम् 🙏