रूस्वा -ए- ख़ल्क की खातिर हम जज़्ब किये जाते हैं ,
रूस्वा -ए- ख़ल्क की खातिर हम जज़्ब किये जाते हैं,
होठों को सी कर अश्कों को भी पी जाते हैं ,
दिल में उठते तूफान हमेशा सालते रहते है ,
तन्हाई में भरे जज़्बात जी भर रोने को मचलते हैं।
रूस्वा -ए- ख़ल्क की खातिर हम जज़्ब किये जाते हैं,
होठों को सी कर अश्कों को भी पी जाते हैं ,
दिल में उठते तूफान हमेशा सालते रहते है ,
तन्हाई में भरे जज़्बात जी भर रोने को मचलते हैं।