रूपान्तरण
पूरे गाँव का शुभचिन्तक था- रजत। जैसा बन पड़ता, वह परिस्थिति के अनुसार सबकी मदद करता था। किसी को दुःख की घड़ी में सहायता करना, गरीबों को अपनी गाड़ी से अस्पताल पहुँचाना, समय-समय पर निःस्वार्थ भाव से जरूरतमन्द लोगों को आर्थिक मदद देना, इत्यादि।
एक दिन उनके गॉंव में एक गुरुघण्टाल टाइप महात्मा आया। उसने रजत को एक मंत्र दिया- ‘ना कर चिन्ता जमाने की, सिर्फ करो चिन्ता अपने पैर जमाने की।’
तब से रजत शुभचिन्तक से नेता बन गया है।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।