रूपमाला छन्द
रूपमाला छन्द, प्रथम प्रयास*
2122 2122 2122 21
नाव है गहरी नदी में, मैं फँसा मजधार।
श्याम मेरी पार कर दो, नाव को उसपार।
टेर भगवन आज सुन लो, दीन की भी नाथ।
मैं दुखी हूँ आज राघव, आप रख दो हाथ।
अभिनव मिश्र
रूपमाला छन्द, प्रथम प्रयास*
2122 2122 2122 21
नाव है गहरी नदी में, मैं फँसा मजधार।
श्याम मेरी पार कर दो, नाव को उसपार।
टेर भगवन आज सुन लो, दीन की भी नाथ।
मैं दुखी हूँ आज राघव, आप रख दो हाथ।
अभिनव मिश्र