गणेश आये
रूनझुन सी पायलिया बाजे
नन्हें नन्हें कदमों से चलके
सारे जग में धूम मचाने
सबके दुलारे गणेश आये।
विघ्नेश, मंगलकर्ता,सिद्धिदाता
भक्त के वे ही भाग्य विधाता
वक्रतुंड,एकदंत कहलाते
मोदक उनको बहुत भाते
विनायक,गजानन,गणपति यूँ
नाम अनगिनत उनके सारे
भोली सूरत सुंदर मूरत सी
रम्य अँखियाँ नयन मतवारे
देवों में प्रथम कहलाते
सबसे पहले पूजे जाते
स्वागत की तैयारी करना
घर मंदिर सा पावन रखना
रोशन हुए यूँ घर व द्वारे
गणेश है हम सबके प्यारे
चंहुओर आज खुशियाँ छाई
है निर्मल,मंगल बेला आई
आओ वंदनवार लगायें
मोदक लड्डू से थाल सजायें
आगमन की तैयारी कर लो
हॄदय में नव उमंग भर लो
घड़ियाँ यूँ बीत जायेगी
नयनों में नमी भी लायेगी
स्नेह,प्रेम तुम भीतर भरके
मन कर्म से ही पूजन करना
भवन का हर कोना सजायें
आओ एकदंत को बुलायें
दूर्वा,पान,सुपारी चढाते
बीते दिन ये हँसते गाते
ढोल,नगाड़े,ताशे बजाना
बप्पा मोरिया कहते जाना
धीमे पग से शुभता लाये
मंगलमूर्ति गणेश आये।।
✍️”कविता चौहान ”
स्वरचित एवं मौलिक