रूठ कर उसने खिझाया देर तक
रूठ कर उसने खिझाया देर तक
माना ,जब हमने मनाया देर तक
पास आकर लग गले बस रो दिया
रह न पाया पर पराया देर तक
वो छुपाने गम,सभी के सामने
बेवजह ही मुस्कुराया देर तक
अलविदा सांसों को अपनी कह गया
वो जुदाई सह न पाया देर तक
ढा रहे आतंकवादी जो कहर
देख ही दिल थरथराया देर तक
दूर तम तो हो न पाया ‘अर्चना’
दीप लेकिन टिमटिमाया देर तक
डॉ अर्चना गुप्ता