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23 Sep 2020 · 1 min read

–रूक जा —

वकत से हैं दिन रात
वक्त कभी रूकता नहीं
वक्त के संग संग चल
यह किसी के लिए ठहरता नहीं

दुनिआ आती जाती रहेगी
मेले यहाँ लगते सजते रहेंगे
महफिले सजती रहेंगी
वकत के संग गुजरती रहेंगी

इंसान आएंगे हर रूप में
यादें सजायेंगे सब के संग
वक्त की रफ़्तार नहीं थमेगी
चले जाएंगे सब छोड़ अपने बदन

किसी के कहने से नहीं रूका वक्त
किसी के लिए नहीं थमा यह वक्त
वकत की रफ़्तार रोक न पाया कोई
याद अगर रहेगा तो बस..रहेगा “वक्त”

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
1 Comment · 165 Views
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