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6 Jan 2017 · 1 min read

रुह को रुह में उतरने दो

आज लबों को बोलने की इजाज़त नहीं
आंखो को ये काम करने दो
करीब आ जाओ इस तरह
रुह को रुह में उतरने दो.

आज की रात कयामत से कम नहीं
बस ये एहसास आज हो जाने दो
तू मेरे मैं तेरे जजबात सुन लूँ
इक दूजे की बाहों में पिघलने दो.

खत्म होती आँसूओं की बरसात
बस यूँ ही इन्हें बह जाने दो
फिर मिले ना मिले ये पल कभी
संवरकर यूँ ही बिखर जाने दो.

Language: Hindi
1 Like · 455 Views
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