#रुबाइयाँ
#रुबाइयाँ
तरुवर सम जग माना जाए , हम पंछी कहलाएँगे।
करें नीड़ निर्माण इसी पर , मीठे फल हम खाएँगे।।
छाया साँसें देकर तरुवर , मंगल जीवन में लाएँँ।
बिस्तर तरु हरी-भरी डालें , चैन लिए सो जाएँगे।।
भूल भ्राँति को सजा काँति मुख , मकर संक्रांति है आई।
नया सूर्य कर शुरुआत नयी , कहूँ मुबारक सुन भाई।।
अमन चमन से मन सब महकें , आँगन-आँगन ख़ुशियाँ हों;
नित-नित उत्सव के शंख बजें , बजे हृदय फ़न शहनाई।।
शिक्षा ज्ञानी सज्जन करती , समझ भरे अधिकारों की।
उज्ज्वल करे भविष्य सभी का , छाया दे संस्कारों की।।
सच्चा साथी एक यही है , पग-पग जो साथ निभाये;
बद शुभ की पहचान कराए , ताक़त उच्च विचारों की।।
गुरु-गोविंद सिंह आज दिवस , देता है हृदय बधाई ।
ओज वीरता सेवा सूचक , जीवन गुरु का सुन भाई।।
शक्ति भरें गाथाएँ गुरु की , नयी उमंगे देती हैं;
भाषा पढ़ती तलवारों की , बहादुरी गुरु सिखलाई।।
#आर.एस.’प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित रुबाइयाँ