रुपहली दीप्ति
रुपहली दीप्ति
हाँ मैंने देखा है सुदूर एक प्रकाशपुंज
उस पुंज की दीप्ति हाँ मैंने देखा है सुदूर एक प्रकाशपुंज
उस पुंज की दीप्ति आलोकित सी प्रकाशित सी
मैंने देखा है दूर कहीं पर्बतों के पेड़ों के बीच झाँकता एक
मनमोहक सा,सलोना से एक शक्ति पुंज दीप्त होता हुआ
शाम चुपके से बसेरा करे तो सूर्य की दीप्ति से सुशोभित
होता एक शाम का वो सुहाना सा नजारा
बकिरयों का झुंड का वापिस से घर को लौट आना
कच्ची-कच्ची पगडंडियों से होकर धूल को उठाती हुई सी
मानो शाम भी स्वागत को तैयार हैं सूर्य दीप्ति के
हाँ मैंने देखा है सुदूर एक प्रकाशपुंज
उस पुंज की दीप्ति आलोकित सी
मैंने देखा है दूर कहीं पर्बतों के पेड़ों के बीच झाँकता एक
मनमोहक सा,सलोना से एक शक्ति पुंज दीप्त होता हुआ
शाम चुपके से बसेरा करे तो सूर्य की दीप्ति से सुशोभित
होता एक शाम का वो सुहाना सा नजारा
बकिरयों का झुंड का वापिस से घर को लौट आना
कच्ची-कच्ची पगडंडियों से होकर धूल को उठाती हुई सी
मानो शाम भी स्वागत को तैयार हैं सूर्य दीप्ति के
हाँ मैंने देखा है सुदूर एक प्रकाशपुंज
उस पुंज की दीप्ति आलोकित सी
मैंने देखा है जब ढलती पर सूर्यास्त की चमकीली दीप्ति
छुपते सूरज को छू लेने के लिए मानो मन होता हैं
इन ठंडी सी रात का आना और डूबते सूर्य की दीप्ति
जैसे कान्हा अभी बाँसुरी सुर कोई़ सुर निकालने वाले हो
पेड़ के नीचे खड़े हो आसमान का रंग देखा है मैने बदलते
मैंने दिन को रात में बदलते हुए उसकी दीप्ति संग देखा है
हाँ मैंने देखा है सुदूर एक प्रकाशपुंज
उस पुंज की दीप्ति आलोकित सी
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद