रिसाइकल्ड रिश्ता – नया लेबल
सच्चा रिश्ता – प्रेम भाव
अब ऑर्गेनिक हो गया
मिलता भी है बड़ा मंहगा
( ग़र ठगे नहीं गये तो)
.
पर आकर्षक पैक में
कॉन्टामिनेटेड रिश्ते
नये – नये लेबल में
सस्ते भाव मिलते हैं
.
लेबल पर लिखा
“रिश्ता मज़बूत और टिकाऊ है”
बस मार्केटिंग गिमिक है
एक्सपाइरी की गारंटी नहीं
पैक खुलने तक ही ख़ूबसूरत है
.
लिखा होता ग़र
“सिंगल यूज ऑनली”
और बिकता
“सोडावाटर की बोतल में बंद”
तो शायद आज के युग में
ख़रीददार होते हज़ार
.
आज रिश्ते सोडावाटर की तरह
खुलते हैं उफ़ान से
फिर एक अंतराल में
गैस ख़त्म – क़िस्सा ख़त्म
.
ख़ाली बोतल की तरह
इधर-उधर लुढ़कते रिश्ते
और फिर नये लेबल में
वही बोतल –
.
कोई और समझदार ख़रीददार
जानता है –
रिसाइक्लड है रिश्ता
पर उनको कहाँ निभाना है
यूज करना है और
आगे बढ़ जाना है
.
सच है – हज़म भी होता है देर से
~ अतुल “कृष्ण”