जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔غزل۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔
ग़ज़ल : इन आँधियों के गाँव में तूफ़ान कौन है
मेरा तो इश्क है वही, कि उसने ही किया नहीं।
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हे राम,,,,,,,,,सहारा तेरा है।
कुछ पन्ने मेरी जिंदगी के...। पेज न.2000
कितने सावन बीत गए.. (सैनिक की पत्नी की मीठी मनुहार)
सावण तीज
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
*जोड़कर जितना रखोगे, सब धरा रह जाएगा (हिंदी गजल))*
कहमुकरी : एक परिचयात्मक विवेचन