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10 Apr 2023 · 1 min read

*रिश्वत देकर काम निकालो, रिश्वत जिंदाबाद 【हिंदी गजल/ गीतिका】

रिश्वत देकर काम निकालो, रिश्वत जिंदाबाद 【हिंदी गजल/ गीतिका】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
रिश्वत देकर काम निकालो ,रिश्वत जिंदाबाद
शरमाओ मत रिश्वत खा लो ,रिश्वत जिंदाबाद
(2)
तुच्छ-राशि पर मुँह बिचका लो ,रिश्वत जिंदाबाद
लार बड़ी देखो टपका लो ,रिश्वत जिंदाबाद
(3)
वेतन तो सूखी रोटी है ,मजा कहाँ आएगा
आओ थोड़ा घी चुपड़ा लो ,रिश्वत जिंदाबाद
(4)
धंधा ही ऐसा है जिसमें, कब विश्वास किसी का
बंधु कभी कल पर मत टालो ,रिश्वत जिंदाबाद
(5)
यह जो सीधा-सादा-सा, ईमानदार दिखता है
उस दिखने से भ्रम मत पालो ,रिश्वत जिंदाबाद
(6)
छिपकर रिश्वत कौन ले रहा, है मेजों के नीचे
रेट-लिस्ट अब तो टॅंगवा लो ,रिश्वत जिंदाबाद
(7)
सौ लोगों में केवल दो हैं, जो सच्चाई वाले
फोटो में बस उन्हें सजा लो ,रिश्वत जिंदाबाद
(8)
कहाँ रखें रिश्वत के पैसे, मोटे रोज कमाते
धरती में गड्ढा खुदवा लो, रिश्वत जिंदाबाद
(9)
चपरासी से क्लर्क बड़ा है, अफसर सबसे खउआ
सबको चाहो तो तुलवा लो ,रिश्वत जिंदाबाद
————————————
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615451

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