रिश्तों में वक्त
रिश्तों में वक्त
रिश्तों में वक्त नहीं है,अब उम्मीद नहीं दिखती,
मन से जुड़ाव बनेगा मजबूत,बस रिश्ते हैं तो जी रहे हैं साथ।
रिश्ते के साए में,वरना जसब्बती बैठक,
अब काफी दिनों के सफर में,कभी-कभी जब इल्म लगता है,
तो बैठ जाते हैं,रिश्ते के नाम पर।
आज कल के लोगों के बनाए रिश्ते,बस एक दिखावा हैं,
नहीं है उनमें कोई दम,नहीं है उनमें कोई जान।
इन रिश्तों में,नहीं है कोई प्यार,
नहीं है कोई विश्वास,नहीं है कोई सम्मान।
इन रिश्तों में,बस है एक दिखावा,
और एक नकली दुनिया