दुखद अंत 🐘
सोचा बहुत बार लिखूं या जाने दूं।
बेजुबान ही तो है, पता नहीं हर रोज कितने ही मरते हैं।
वैसे मैं कोई कवयित्री नहीं, पर दिल के तले से आवाज आई माँ 🤱तो है किसी की!
क्या उस माँ 🐘 पर तेरी ममता नहीं पिघलाई , बस मैंने रात यह सोचकर बिताई, क्या! इसे ही कहते हैं कलयुग संत,गोसाई
दुखद अंत 🐘
दुनिया में इस वक्त कहर की कमी नहीं •••••••
लाशों के ढेर पर अब कहीं नमी नहीं •••
एक मुसीबत हटती नहीं, दूसरी आ जाती है;कभी कोरोना, कहीं तूफान इस सब ने पूरी दुनिया में हैं आफत मचाई ।
रे! इंसान तुझे अभी भी क्यों ना समझ आई।
तूने क्यों केरल के पलक्कड़ में अपनी हैवानियत दिखाइए। आज पूरे विश्व में 🐘विनायकी का दर्द सभी की आँखों में आँसू बन बह रहा।
उसका गर्भ में पल रहा शिशु इंसान से कह रहा••• क्या कसूर था, मेरी मां का
जो भूखे को अन्न 🍍🥥🍌की जगह अंगार💥💥 खिलाया।
क्या कसूर था, मेरा जो इतने महीनों गर्भ में पलने पर भी मैं बाहर ना आया•••••
तड़पती, बिलखती और कराहती रही मेरी माँ ••••🐘• खुद को और मुझे जिंदा रखने के लिए अकुलाती रही माँ•••🐘
कभी पत्थरों पर,कभी पानी में, कभी दर्द भरी चीखों से, कभी खामोशी से ••••○○
मासूमियत भरी आँखों से👀 इस कायनात को ताकती रही। और सोचती रही•••
रे! दानव तू क्या जाने पीर पराई•••
ऐ खुदा! देख ली तेरी भी खुदाई,क्यों तुने इतनी देर लगाई।
आभार
रजनी कपूर