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17 Mar 2020 · 1 min read

रिश्तों की ज़िन्दगी में जरूरत बनी रही

रिश्तों की ज़िन्दगी में जरूरत बनी रही
कितनी भी उनसे चाहे शिकायत बनी रही

फूलों के साथ साथ रहें जैसे शूल हैं
नफरत के साथ दिल में मुहब्बत बनी रही

हमको न मिल सकी जो मुहब्बत तो क्या हुआ
वो नज़रों में हमारी इबादत बनी रही

यादों की खिड़कियों से उन्हें ताकते रहे
वर्षों के बाद भी यही चाहत बनी रही

मिलते है लोग आज भी चलते उसूलों पर
इंसानियत ही उनकी तो ताकत बनी रही

पैसे की भूख में गिरा इंसान इसलिये
लालच में और पाने की आदत बनी रही

बिगड़े हुये हमारे सभी काम बन गए
बस वक़्त की ही हम पे इनायत बनी रही

टूटे तो ज़िन्दगी में कई बार ‘अर्चना’
थे हौसले बुलंद तो हिम्मत बनी रही

15-03-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

5 Likes · 1 Comment · 232 Views
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