रिश्तों की माया
कौन अपना कौन पराया,
अपने लिए सब माया ही माया।
देखने को सबकी हकीकत ,
ए दुनिया वालों ! एक चिराग जलाया ।
मगर अफसोस ! यह चिराग ,
तुम्हारे अंदर के अधेरों तक नहीं पहुंच सकता ।
फिर भला कैसे यकीन करें हम ,
तुम में कौन अपना है और कौन पराया।