रिश्तों का मोल
कुछ मुस्कुरा कर
बोल दिया करो
कुछ मुस्कुरा के
तोल लिया करो
यूं तो जिन्दगी
बड़ी कशमकश से
भरी रहती है
उन्सुल्झे किस्से
वक्त के मिजाज
पर तुम छोड़ दिया करो
न जाने कल
मुझ सा कोई हसाने वाला
मिले या न मिले
तुम बेझिझक मन
की व्यथा को निकल
ही दिया करो
प्यार से रिश्ते
निभाने सीखीये
कुछ रिश्तो को प्यार
से जोड़ बस दिया करो
आने वाला कल
खूबसूरत ही हो,
जरूरी तो नहीं
आज उस में प्यार
का तुम रस घोल दिया करो
गम और आंसू किसी
को देकर सकूंन तुम कहाँ
पा सकोगे
किसी के आंसू न निकलें
और गम की जगह ख़ुशी बांटे
ऐसे ऐसे तुम काम
बस बेहिचक कर दिया करो !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ