रिश्तों का गणित
दो या दो से अधिक लोगों के बीच
एक अनकहा, अनचाहा नेह सूत्र
जो ईमानदारी से गढ़ा जाए तो बेशकीमती
और छल से मढ़ा हो तो मकड़ी के जाले सा चिपचिपा,
रिश्तों की भी सूरतें हैं,
कुछ अनमोल,खूबसूरत,बिना शर्त , अनकहे,
तो कुछ ठंडे,बेजान, खून के रिश्ते
रिश्तों का गणित भी क्या
कुछ जन्म से मिले तो
कुछ अनायास बन गए
कुछ पीछे छूट गए तो
कुछ बदरंग हो गए
कुछ मजबूरीवश बने जरूर,पर रहे
हमेशा समानान्तर लाइनों की तरह
जी चाहता है कि रिश्ते खुश्बू की तरह हों
जो महकें तो जी खुश हो जाए
दिल में उसे पा लेने की ललक
और खो देने की कसक हमेशा बनी रहे
रगों में लहू की तरह
निरंतर,निष्काम बहते रहें
पर आज की दुनिया में
ऐसा कहां होता है
कौन कभी किसी का होता है
बस अब तो
रिश्ते मोहताज हैं अपनेपन
और सादगी भरी जिंदगी के,
तमन्ना है, बस वही रिश्ते
फिर से वापस मिल जाएं
जिसमें कोई लेन-देन और ऊंच-नीच न हो
संवेदनाओं का कैनवास
भावनाओं के रंगों से मनमोहक दिखे
और अहसासों की नमी सूखने न पाए।