#रिश्ते #
चलो आज से एक काम करते हैं,
थोड़ा सा तुम झुको थोड़ा हम भी झुकते हैं।।
हर समय रौब दिखाने से रिश्ते नही चला करते,
रिश्तों की माला वह माला है जिसे हम प्यार से पिरोते हैं।।
गलतियां तो इंसान से ही होती हैं,
हर बार हम ही गलत हैं यह बात कैसे हो सकती हैं।।
हम गलतियों का पुतला आप सभ्यता की मूरत हो,
खुद को सही और दूसरे को गलत बताना क्यों इंसान की फितरत है।
ही प्रभु कुछ लोग इतने खुद गर्ज कैसे हो सकते हैं
सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए ही रिश्तों को निभातें हैं
रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ