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8 Jun 2023 · 1 min read

#रिश्ते #

चलो आज से एक काम करते हैं,
थोड़ा सा तुम झुको ,
थोड़ा हम भी झुकते हैं।

हर समय रौब दिखाने की ,
जरूरत ही क्या है।
जहां काम प्यार से हो जाए,
वहां बेवजह तलवार चलाने की जरूरत ही क्या है

रिश्ते प्रेम से निभते हैं,
दिखावे से नही
यह वह माला है
जिसे हम विश्वास के धागे से पिरोते हैं।

गलतियां तो इंसान से ही होती हैं,
हर बात आगे बढ़ाने की जरूरत क्या है।
हर बार हम ही गलत हों,
यह बात सही कैसे हो सकती हैं।

चलो मान ली आपकी बात..
कि हम गलतियों का पुतला ,
आप सभ्यता की मूरत हो।
आप गलत हो कर भी सही हो ,
हम सही होकर भी गलत।

खुद को सही और दूसरे को गलत बताना ,
क्यों इंसान की फितरत है।
ही प्रभु कुछ लोग इतने,
खुद गर्ज कैसे हो सकते हैं
सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए ही
हर रिश्ते को निभातें हैं
रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ

Language: Hindi
1 Like · 268 Views

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