रिश्ते
आओ ना
हम कोशिश करें
समझने की
रिश्तों की दुनिया को
खून के रिश्तों को
हाँ उन रिश्तों को
जिन्हें हमने नहीं बनाया
बनाया है विधाता ने
गर समझ जाओ मुझसे पहले
तो
मेरे अपने होने का नाटक करना
जी भर,
और हाँ
अवसर जरूर तलाशते रहना
फिर अनुकूलता दिखते ही
मार देना मुझे
कल,बल,छल से
खुद को प्रमाणित कर देना
तुम भी उन्हीं में से एक हो
जो तलाशते हैं अवसर
खंजर घोंपने का
रिश्तों की दुनिया का एक वीर सिपाही
जो भावुक हृदय में
छल-छल दौड़ते खून को
रिश्तों का
परिचय देते हुए
छल से
शांत कर जाता है।
–अनिल मिश्र,प्रकाशित